रोटी-बेटी-माटीः  झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक

Nov 04, 2024

 

खरी खरी संवाददाता

रांची, 4 नवंबर। झारखंड विधानसभा के चुनाव में बीजेपी ने सत्तारूढ़ झामुमो- कांग्रेस नीति सरकार के खिलाफ मास्टर स्ट्रोक खेला है। भाजपा ने पहले तो झामुमो के प्रमुख नेता और कुछ महीनों से सीएम चंपई सोरेन को तोड़कर आदिवासी अस्मिता का मुद्दा उठा दिया। उसके बाद पार्टी ने परिवारवाद और भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाते हुए रोटी-बेटी- माटी को अपना चुनाव कैंपेन बना दिया। पार्टी का दावा है कि सोरेन सरकार के कार्यकाल में बाहरी लोग झारखंड की अस्मिता से खेल रहे हैं और सरकार खामोश है। इसलिए एनडीए सरकार झारखंड की रोटी-बेटी-माटी की रक्षा करेगी।

बीजेपी के इलेक्शन कैंपेन रोटी-बेटी-माटी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आक्रामक रुख अपनाए हैं। मोदी ने सोमवार को गढ़वा और चाईबासा की चुनावी जनसभा में सोरेन सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग आपकी रोटी-बेटी-माटी छीन रहे हैं। इसे बचाने के लिए एनडीए को सत्ता में लाना होगा। पीएम मोदी ने कहा कि चाईबासा की धरती भगवान बिरसा मुंडा की धरती है। चाईबासा की धरती ने महान वीरों को जन्म दिया है। यह धरती आदिवासी वीरों की गाथा कहती है। हम ईमानदारी से झारखंड के विकास की हर कोशिश कर रहे हैं। झारखंड की यह भूमि जनजातीय गौरव, जनजातीय मान-मर्यादा की साक्षी रही है। यह माटी उस आदिवासी शौर्य की साक्षी रही है जिसने भारत की आजादी, भारत की संस्कृति और विरासत की रक्षा की है। इस दौरान पीएम ने आदिवासी आरक्षण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आदिवासी अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए ही बाबा साहेब अंबेडकर ने आदिवासी आरक्षण की शुरुआत करवाई थी, लेकिन उस समय भी नेहरू जी ने आदिवासियों को आरक्षण का विरोध किया था। इसके बाद जितने साल सरकार पर गांधी परिवार का कब्जा रहा। ये लोग आरक्षण के खिलाफ रहे। अब एक बार फिर इन लोगों ने खुला ऐलान कर दिया है कि आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण को समाप्त कर देंगे।

प्रधानमंत्री के अलावा बीजेपी के अन्य स्टार प्रचारक भी रोटी-बेटी-माटी के मास्टर स्ट्रोक पर ही अपना प्रचार अभियान केंद्रित कर रहे हैं। प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रभारी और केंद्रीय कृषि मंत्री तथा एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान लगातार इसी मुद्दे पर अपना चुनाव अभियान केंद्रित कर रहे हैं। पार्टी के एक अन्य स्टार प्रचार और असम के सीएम हेमंत विस्वाशर्मा तो लव जेहाद जैसे मुद्दों को उठाकर झारखंड की अस्मिता से खिलवाड़ का आरोप लगा रहे हैं। असल में रोटी-बेटी-माटी कैंपेन मूलतः हेमंत विस्वासरमा की ही सोच और रणनीति है। भाजपा इस आदिवासी बाहुल्य प्रदेश के मतदाताओं के मन में यह बैठाने की पूरी कोशिश कर रही है कि बांगलादेशी शरणर्थियों और रोहिंग्याओं को झारखंड की सोरेन सरकार पूरा समर्थन दे रही है। जबकि यही वर्ग झारखंड की अस्मिता से खिलवाड़ कर रहा है। अगर बीजेपी आदिवासी मतदाताओं को यह समझा पाने में सफल रही कि शरणार्थियों को तवज्जो दिए जाने तथा सरकार के आँखों पर पट्टी बांध लेने के कारण झारखंड मे रोटी-बेटी और माटी सुरक्षित नही है तो सोरेन सरकार की वापसी बहुत मुश्किल हो जाएगी। चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान लगातार इस कोशिश में हैं कि झारखंड के प्रमुख आदिवासी नेताओं को चुनाव के दौरान ही तोड़कर बीजेपी में लाय़ा जाए। इससे यह संदेश जाएगा कि बीजेपी आदिवासी नेताओं का बहुत सम्मान करती है। चंपई सोरेन सहित कई दिग्गजों को अन्य दलों से तोड़कर बीजेपी में ला चुके शिवराज सिंह चौहान को पूरी उम्मीद है कि उन्हें अपने मिशन में पूरी सफलता मिलेगी।